हमने भी सीखा- 10
मुक्तक
दूर रहो या पास
तेरे होने का ख्याल ही
मन को राहत देता है.
जीतने की ख्वाहिश बहुत है…
हर मोड़ पर ताज पाने की सिफारिश बहुत है,
हमें तो जो मिला, जैसा मिला, खा लिया और जी लिए…
सारे जहां का हो भला, अपने प्रभु से गुजारिश बहुत है.
तू ही मेरी इबादत, तू ही मेरी इनायत
एक प्रच्छन्न-सी उम्मीद है
तेरे मिलने की
न भी मिल सके तो
न कोई गिला-शिकवा
न कोई शिकायत
मुझे लगाव है तेरे शब्दों से भी
खामोश ही सही घाव तो नहीं करते