कविता

शिक्षा अभी भी बाकी है….

सबका विचार एक जैसा
कभी नहीं होता,
देश, काल, परिस्थितियाँ
इंसान को चलाती हैं
कोई ऊँच या नीच नहीं होता
हरेक के अंदर प्रतिभा
जरूर होती है
जन्म के आधार पर
लिंग, प्रांत, जाति व धर्म के साथ
जोड़कर देखी नहीं जाती प्रतिभा
एक दूसरे की तुलना करके
उसे आँका नहीं जाता,
मनुष्य अभी भी पीछे हैं
एक दूसरे को समझना और
साथ – साथ चलना
भेद – विभेदों को पारकर
सामाजिक धरातल पर
समानता हासिल करना
साध्य बन गयी है जग में
कोई भी काम अधम व उच्च नहीं
स्वार्थ मन की रचना है
अलग – थलग -अवर्ण – सवर्ण की भावना
कठिन है उससे बचना
पढ़े -लिखे लोग भी बंदे हैं
अहं की गोद में
साधारण धरातल पर
एक प्राणी का अहसास से दूर
यह जीवन यात्रा
कभी पूर्ण नहीं होता ।

— पैड़ाला रवींद्र नाथ

पी. रवींद्रनाथ

ओहदा : पाठशाला सहायक (हिंदी), शैक्षिक योग्यताएँ : एम .ए .(हिंदी,अंग्रेजी)., एम.फिल (हिंदी), सेट, पी.एच.डी. शोधार्थी एस.वी.यूनिवर्सिटी तिरूपति। कार्यस्थान। : जिला परिषत् उन्नत पाठशाला, वेंकटराजु पल्ले, चिट्वेल मंडल कड़पा जिला ,आँ.प्र.516110 प्रकाशित कृतियाँ : वेदना के शूल कविता संग्रह। विभिन्न पत्रिकाओं में दस से अधिक आलेख । प्रवृत्ति : कविता ,कहानी लिखना, तेलुगु और हिंदी में । डॉ.सर्वेपल्लि राधाकृष्णन राष्ट्रीय उत्तम अध्यापक पुरस्कार प्राप्त एवं नेशनल एक्शलेन्सी अवार्ड। वेदना के शूल कविता संग्रह के लिए सूरजपाल साहित्य सम्मान।