राजनीति

भ्रष्टाचार मुक्त विकासोन्मुखी भारत पर मंथन

कुदरत द्वारा रचित इस अनमोल खूबसूरत धरा पर सबसे बुद्धिजीवी प्राणी मानवीय जीव है जिसकी रचना जब हुई होगी तो किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि इस मानवीय प्राणी द्वारा अपनी बौद्धिक कुशलता, क्षमता का इस हद तक आधुनिक विकास होगा। विकास तो चलो ठीक है मानवीय जीवन सहज, सरल बनाने में अभूतपूर्व सहयोगी सिद्ध हुआ है परंतु उसके साथ जो भ्रष्टाचार रूपी विषैली महामारी मानवीय स्वभाव का एक अंग बन जाएगी शायद इसकी भी किसी को कल्पना नहीं रही होगी।
हालांकि सभी मानवीय जीव इसमें शामिल है ऐसा कहना गलत होगा, परंतु सिस्टम में अनेक जीव हैं, जो घड़े में एक ख़राब आम की तरह है तो पूरे घड़े के आमों को खराब कर देता है वाली कहावत यहां अप्लाई होती है।
साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार की करें तो यह एक ऐसे जंगली फ़ल है की तरह है जो खाने में तो बहुत मीठा लगता है, जिससे उत्साहित होकर मानवीय जीव खा लेता है परंतु उसके स्वास्थ्य पर परिणाम के रूप में जब वह फल असर दिखाना शुरू करता है, तो जीवन दुखदाई होने के साथ जमा पूंजी जीरो भी हो जाती है। उसी तरह भ्रष्टाचार के रूप में लिया गया पैसा बहुत कुछ तो है परंतु सब कुछ नहीं!!! यह उसी मीठे जंगली फ़ल की तरह है!!! भ्रष्टाचार लेते समय सब मीठा मीठा लगता है जब वह पैसा अपना कुटिल रूप बीमारी, दुखों, अपवित्र जीवन के रूप में दिखाता है तो पुत्र-पुत्री, पत्नी इत्यादि रिश्तेदारों को बीमारी, आत्मदहन, दुखी घर संसार, भ्रष्टाचार के पोलिस कोर्ट केस, जेल, सजा, परिवार की तबाही के रूप में ऐसी सुनामी उनके परिवार में आती है तब उनको अपनी अपवित्र कमाई का समय याद आता है!!!
साथियों बात अगर हम हाल ही में मीडिया में वायरल एक बहुत बड़े और बहुत शारीरिक वज़नी अधिकारी की करें तो कोर्ट की पहली मंजिल पर पेशी के लिए बैठे इस अधिकारी को यथार्थ बोध का परिचय करा रही थी क्योंकि वह घोटाले का दोषी सिद्ध हुआ है।वउसका जीवन ऐसे बीत कि माता पिता नहीं रहे, दो शादियां की दोनों ने छोड़ दिया, कोई औलाद ना हुई, गोद लिए बच्चे ने भी शादी के बाद उनको छोड़ दिया और घर में कुछ जानवर बंदर कुत्ते पाल रखे थे उनके साथ जीवन व्यतीत हो रहा था कि कोर्ट के आदेश पर दोषी सिद्ध हुए और अब बाकी समय जेल की सलाखों के पीछे कटेगा यह अपवित्र भ्रष्टाचार की कमाई का नजारा और नतीजा सत्यता है।
साथियों बात अगर हम अपने पद की गरिमा की करें तो पद आप को पवित्र रोजी-रोटी देता है उसके प्रति आप भी अपनी जवाबदेही, कर्तव्यनिष्ठा को निभाएं। भ्रष्टाचार लेकर अपवित्र ना करें जीवन को जीवंत बनाए क्योंकि यह भ्रष्टाचार रूपी विष हमारे और हमारे परिवार के रगों में जाता है और एक दिन ज़रूर आता है जब यह भ्रष्टाचार रूपी विष अपने खेल ज़रूर दिखाता है फिर दुःखी परिवार, आत्महत्या, बीमारी, जेल, दुखी जीवन, भयंकर त्रासदी काल पल उनके जीवन में आते हैं जो भ्रष्टाचार रूपी विष का नतीजा है जो कि आता ही है हिसाब किताब इसी जीवन में पूर्ण करके ही जाना पड़ता है जो इस धरा का नियम भी है!!!
साथियों बात अगर हम ईमानदारी की करें तो ऐसा भी है कि पदों पर कट्टर ईमानदार अधिकारी भी हैं जिनको अपने हित के सामने सबसे पहले राष्ट्रहित, राष्ट्र भावना, राष्ट्रवाद, अपने नियोक्ता के प्रति वफादारी झलकती है। बड़े बुजुर्ग कहते हैं कि नौकरी हमारी इज्जत, हमारी मां के समान है हमें रोजी-रोटी प्रदान करती है उसके साथ हमेशा वफादारी करनी चाहिए। उसी तरह यह ईमानदार अधिकारी भी समझते हैं और करते हैं उसके लिए पैसा सब कुछ नहीं इस धरातल पर अपना नाम रोशन कर जाते हैं उनका घर परिवार सुखी संपन्न रहता है यह प्रैक्टिकली सभी ने देखा होगा।
साथियों बात अगर हम अधिकारियों पर आयकर, ईडी, इत्यादि एजेंसियों की रेड की करें तो हमने प्रिंट व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कई विभागों के अधिकारियों के यहां रेड में करोड़ों रुपए की जब्ती टीवी चैनलों पर देखते रहते हैं जो सरकार द्वारा उठाया गया सकारात्मक कदम और भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसने की ओर अच्छा सख़्त कदम है।परंतु मेरा मानना है कि इस दिशा में कदम तेजी से बढ़ाना होगा और सबके यहां इसी तरह रेड ,गुप्त इंक्वायरी और बैंकों, रिश्तेदारों, शेयर, प्रॉपर्टी, प्लॉट्स, निजी विनियोग इत्यादि में किए गए विनियोग का पता लगाकर आय से अधिक संपत्ति को ज़ब्त कर सरकारी खजाने में जमा करना होगा जिससे भ्रष्टाचार पर बहुत हद तक नियंत्रण किया जा सकता है।
साथियों बात अगर भ्रष्टाचार बोध सूचकांक 2021 की करें तो हाल ही में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा यह जारी किया गया है जिसमें, भ्रष्टाचार अवधारणा सूचकांक (सीपीआई) 2021 में 180 देशों की सूची में भारत को 85 वां स्थान मिला है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार पिछली बार के मुकाबले भारत की रैंकिंग में एक स्थान का सुधार हुआ है। हालांकि रिपोर्ट में देश की लोकतांत्रिक स्थिति पर चिंता जताई गई है। रिपोर्ट में भारत के मामले को विशेष रूप से चिंताजनक बताते हुए कहा गया है कि पिछले एक दशक में देश का स्कोर स्थिर रहा है, लेकिन कुछ तंत्र जो भ्रष्टाचार रोकने में शासन को मदद कर सकते हैं, कमजोर हो रहे हैं। इससे देश की लोकतांत्रिक स्थिति को लेकर चिंता बढ़ गई हैं, क्योंकि मौलिक स्वतंत्रता और संस्थागत नियंत्रण के बीच संतुलन बिगड़ रहा है।
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि दुनिया के अधिकतर देशों ने पिछले एक दशक में भ्रष्टाचार के स्तर को कम करने में बहुत कम या कोई प्रगति नहीं की है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ने स्थिति को खराब कर दिया है। न केवल प्रणालीगत भ्रष्टाचार और कमजोर संस्थानों वाले देशों में, बल्कि स्थापित लोकतांत्रिक देशों में अधिकारों और नियंत्रण एवं संतुलन की व्यवस्था को तेजी से कमजोर किया जा रहा है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भ्रष्टाचार मुक्त विकासोन्मुखी भारत पर मंथन। भ्रष्टाचार- पैसा बहुत कुछ तो है पर सब कुछ नहीं। जीवन को जीवन्त बनाएं, जो पद आप को पवित्र रोजी-रोटी देता है उसे भ्रष्टाचार से अपवित्र होने से बचाएं, इमानदारी अपनाएं।

— किशन सनमुखदस भावनानी

*किशन भावनानी

कर विशेषज्ञ एड., गोंदिया