गज़ल
मत बदल अपने उसूल मियाँ
सच पर ही सदा तू झूल मियाँ
होगी एक दिन ही विजय तेरी
दे कितने भी तुझे शूल मियाँ
एक बार कर चुका है सरेआम
मत करें फिर से वो भूल मियाँ
जो भी दुश्मन है तेरा यहाँ
उसको चटा अब तो धूल मियाँ
चलते रहना मंजिल तक तुझे
मिले कितने यहां बबूल मियाँ
झगड़े तो सब निपट जायेंगे
अगर दोगे न कोई तूल मियाँ
रमेश अब कभी थकनामत तू
मिलेंगे फिर पथ में फूल मियाँ
— रमेश मनोहरा