हिम्मती लड़की
प्राची एक छात्रा थी वह शोध कर रही थी । उसका बिषय था ग्रामीण अंचल में बेटियों की परवरिश व शिक्षा और जल संरक्षण वह अपने कार्य के लिये गांव में पहुँची । वहां पहुँच कर देखा अभी बहुत से गांव में बहुत पिछड़ापन है व सोच भी काफी संकीर्ण है। बेटा और बेटी का अन्तर तो लोगो के दिमाग पर हावी है।
वह सुबह से ही खेतों की ओर निकल जाती । वह देखती छोटी उम्र की बच्चियां किसी ना किसी काम में लगी रहती । छोटी उम्र की बहुयें भी घूंघट लगाये खेतों में काम कर रही हैं। वह प्रतिदिन देखती बच्चियां सर पर मटकी रख कर दूर से पानी लाती थी क्योंकि गांव में पानी का अभाव था । सरकार का ध्यान गांव में किसी योजना को लाने का नहीं था । उसने बच्चियों से पूछा कि क्या तुम पढ़ती नहीं हो तब उन्होंने जवाब दिया दीदी पढ़ना तो चाहते हैं पर पानी की अधिक आवश्यकता है। बिना पानी के जिन्दा भी नहीं रह सकते । प्राची ने सोचा शहर के लोग कितना पानी बरबाद करते हैं। लोग वाटर पूल बनवाते हैं। कितना पानी बरबाद होता है। उसने लोगो को एकत्रित किया और सबको लेकर शहर गयी साथ में पानी लाते हुये उन बच्चियों का फोटो लिया व शहर में जिला अधिकारी , सी.डी. ओ से मिली और समस्या बताई पानी लाते हुये बच्चियों का फोटो दिखाया और कहा सर शहर में पानी की बर्बादी पर आप अकुंश नहीं लगा पा रहे और गांवों में पानी के लिये ये बच्चियां दूर से पानी भर कर लाती है । अधिकारियों ने तुरन्त संज्ञान में लिया और शुरू में हैण्ड पम्प लगवाये व पाइप लाइन और ओवर टैंक के लिये फाइल बनवाई । आज गांव में चार हैन्ड पम्प लगे तो सब ग्रामीणों में खुशी की लहर फैल गयी । सब कहने लगे यह एक शिक्षित बेटी का कमाल है। अब हम अपनी बच्चियों को शिक्षा दिलवायेगें । जिससे वह अपनी समस्याओं का निराकरण हिम्मत से करा सकें । गांव की बच्चियों और सभी महिलाओं के लिये प्राची एक बहुत हिम्मती लड़की थी क्योंकि अब दूर से मटका सर पर रख कर नहीं लाना पड़ेगा ।
— डा. मधु आंधीवाल