गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

तेरी आंखों में खुद के लिए नफरत नहीं चाहिए
जो समझे ना जज्बात वो मोहब्बत नहीं चाहिए|
दिल में कुछ हो जुबां पर कुछ और हो
खुदा की ऐसी इबादत नहीं चाहिए|
चाहा था जिसे टूट कर कभी हमने
मुझे अपने प्यार में रहमत नहीं चाहिए|
चंद सिक्कों की खातिर छोड़ा तुमने दामन
मुझे अपने प्यार की कीमत नहीं चाहिए|
वफा की उम्मीद तुझसे क्या करें ‘मीरा’
छल कपट से भरी विरासत नहीं चाहिए|
— सविता सिंह मीरा 

सविता सिंह 'मीरा'

जन्म तिथि -23 सितंबर शिक्षा- स्नातकोत्तर साहित्यिक गतिविधियां - विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित व्यवसाय - निजी संस्थान में कार्यरत झारखंड जमशेदपुर संपर्क संख्या - 9430776517 ई - मेल - [email protected]