गीतिका/ग़ज़ल

वीणा के सुर खामोश हो रहे

मेरी तमन्नाओं के कातिल बता तूने हमें वफा क्यों न दी।।
कभी मांगा न कुछ तुझसे  , फिर भी सज़ा मैंने तुझे क्यों न  दी।।
अपनी सांसों के  हर  बंधन में  तुझे समाए थे हम
हर बंधन तोड़े तूने ,  फिर भी तुझे अब तक भुला क्यों न  दी।।
शायद मेरी इस रूह ने ,तुझे अपनी रूह में  बसाया था
मेरी वफ़ा के काबिल तू न था , ये खुद को मैं समझा क्यों न दी।।
याद आते अब भी तेरे संग गुज़ारे वो हर एक हसीन पल
आज भी उम्मीद लगाए बैठी , हर उम्मीद एक तोड़  क्यों न दी।।
तेरे सिवा कोई भी मेरे दिल को भाता नहीं सुन मेरे हमनवां
तेरी राह तकती आज भी , तूने लौट  दिल पर दस्तक क्यों न दी।।
सोचती हूं कभी तो याद मेरी भी  , तुझे सच  सताती होगी
वीणा के सुर के मोती खामोश न हो जाएं , तुमने आवाज़ क्यों न दी।।
— वीना आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित