हमने भी सीखा- 18
मुक्तक
मुस्कुराता रहा मुसलसल
ताकि संभावना न रहे
तुझ पर
बेवफाई की आंच आने की
तुमसे मिलने की चाहत बहुत है
दिल में तुम्हारी तस्वीरों की
इनायत बहुत है
मिल न सको तो भी
तेरे होने के एहसास से राहत बहुत है
खुशी आत्मा का स्वास्थ्य है
जमाने से सुनते आए हैं मुसलसल
खुशी ने डेरा नहीं डाला आत्मा में
इसी लिए सम्भवतः रहते हैं अस्वस्थ और बेकल
आदरणीय लीला दीदी, सादर प्रणाम। बहुत खूब। सही कहा आपने, ख़ुशी आत्मा का स्वास्थ्य हैं। सादर
चंचल जी, आपको “हमने भी सीखा- 18” ब्लॉग बहुत अच्छा लगा, यह जानकर अत्यंत हर्ष हुआ. आपने बिलकुल दुरुस्त फरमाया है. “ख़ुशी आत्मा का स्वास्थ्य है. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए आपका हार्दिक अभिनंदन.