गीतिका/ग़ज़ल

उनके जैसे ही कस्में खाकर रख दो

उनके जैसे ही कस्में खाकर रख दो
तुम भी सब इल्ज़ाम हमारे सर रख दो

हँस कर हाथ मिलाओ मेरे दुश्मन से
मेरे भरते जख़्मों पर नश्तर रख दो

इससे पहले सच दिखलाएं आईने
नादानों के हाथों‌ में पत्थर रख दो

यूँ टालो मुश्किल प्रश्नों के उत्तर तुम
प्रश्नों में ही प्रश्नों के उत्तर रख दो

जीना है यदि जीवन को जीवन जैसा
दूर उठाकर तुम‌ मरने का ड़र रख दो

मेरे दिल में आने की हसरत है तो
दंभ अना जो भी है सब बाहर रख दो

सतीश बंसल
१४.०४.२०२२

*सतीश बंसल

पिता का नाम : श्री श्री निवास बंसल जन्म स्थान : ग्राम- घिटौरा, जिला - बागपत (उत्तर प्रदेश) वर्तमान निवास : पंडितवाडी, देहरादून फोन : 09368463261 जन्म तिथि : 02-09-1968 : B.A 1990 CCS University Meerut (UP) लेखन : हिन्दी कविता एवं गीत प्रकाशित पुस्तकें : " गुनगुनांने लगीं खामोशियां" "चलो गुनगुनाएँ" , "कवि नही हूँ मैं", "संस्कार के दीप" एवं "रोशनी के लिए" विषय : सभी सामाजिक, राजनैतिक, सामयिक, बेटी बचाव, गौ हत्या, प्रकृति, पारिवारिक रिश्ते , आध्यात्मिक, देश भक्ति, वीर रस एवं प्रेम गीत.