गुज़ारिश
है तपिश बड़ी कुछ बारिश चाहिए
थोड़ी राहत भरी गुंजाइश चाहिए
रीत गए ख़्वाब-ओ-अरमान सारे
मन को भिगोये वो ख़्वाहिश चाहिए
ठहरी ठहरी सी दुनिया लगती है
इसको ज़रा इक जुम्बिश चाहिए
लोग कहाँ सीधे मिलते हैं आज
इन्हें मान-मनौव्वल गुज़ारिश चाहिए
संजीदगी भी कोई बीमारी है “गीत”
अलहदा सी कभी लग़्ज़िश चाहिए
— प्रियंका अग्निहोत्री “गीत”