सीता
जनक सुता सुकुमारी
राम की अर्धांगिनी,
सुंदर, सुशीला
सिद्धांतों की पुजारिन।
बेटी धर्म निभाया
पिता का मान बढ़ाया
पत्नी धर्म निभाने की खातिर
क्या क्या कष्ट उठाया।
सुख की चाह किए बिना
पति के साथ वन प्रस्थान किया
दशरथ की बहू ने
कितने कितने कष्ट सहा।
फिर भी मन मलीन न हुआ
पति संग में ही हर्ष मिला।
लंका में रहकर भी
पतिव्रत धर्म का पालन किया।
पति के आदेश का न प्रतिरोध किया
गर्भकाल में भी वन जाना स्वीकार किया
मां का फ़र्ज़ भी हंसते हुए निभाया,
सतीत्व परीक्षा से व्याकुल
धरती माँ की गोद में
अपना स्थान पाया,
राम के साथ नाम जुड़ा
पर राम से पहले सीता नाम आया,
सीताराम नाम मंत्र बन गया
सीता नाम अमर हो गया।