धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

लगन है आध्यात्मिक लगाव

किसी ने ठीक ही कहा है- “लगन” एक छोटा सा शब्द है।जिसे लग जाती है उसका जीवन ही बदल जाता है।
लगन का शाब्दिक अर्थ है- “लगने का भाव” या “ध्यान लगने से है।” अर्थात कहा जा सकता है कि- “एकाग्र भाव से ध्यान या मन लगाने की अवस्था या भाव से है।”
बात सत्य है यदि हम कोई काम या जिम्मेदारी लेते हैं, तो उसे हम एकाग्र भाव से करें।अपना सारा ध्यान उस पर समर्पित करदें।उस पर पूरी शक्ति लगा दें।उस काम में इस तरह रंग जाएँ की हमारा “काम और मैं” का भाव खत्म हो जाए।मात्र और मात्र लगन का भाव,शेष रह जाए।जिसको कबीर की भाषा मे सुरति-निरति कहा जाता है।
कबीर कहते हैं कि “सुरति”अर्थात ईश्वर प्रेम रस “निरति” में समा गया है।इसे कहते हैं भगवान का सुमिरन अनन्त प्रेम में परिवर्तित हो जाना।और ईश्वर के प्रति जो प्रेम भक्ति थी वह अंतरात्मा में समा गई।बाहरी जगत से नाता टूट गया।अर्थात “लगन”लग गई।
जब बात लगन की हो तो मीरा बाई को भला कैसे भूला सकते हैं। मीरा बाई को भगवान श्री कृष्ण की भक्ति का ऐसा लगन लगा।की उसके प्रेम की सदा-सदा के लिए दीवानी हो गई।और इस प्रेम- भक्ति को करके वह मीरा बाई अमर हो गई। तभी तो कहा गया-
“ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन
वो तो गली-गली हरि गुन गाने लगी।।
महलों में पली, बन के जोगन चली।
मीरा रानी दीवानी कहाने लगी।।”
मीरा बाई कहती है मुझे ऐसा धन प्राप्त हुआ है जो बहुत ही अनमोल है।और यह ऐसा धन है जो कभी न कम होता है न खर्च होता है।बल्कि जितना खर्च करो वह उतना ही बढ़ते जाता है। वो कहती है-
“पायो जी मैंने राम रतन धन पायो
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरु किरपा कर अपनायो।।”
मीरा बाई भगवान श्री कृष्ण के प्रेम की दीवानी है।और वह इतना प्रेम करती है कि उससे एक पल भी अलग नही रहना चाहती। वो कहती है मेरे प्रेम के दर्द को कोई नही जान सकता,जिसने प्रेम किया है वही समझ सकता है-
“हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय।
घायल की गति घायल जाणै, जो कोई घायल होय।।”
मीरा बाई के प्रेम-लगन में भक्ति है।आस्था है।अटूट विस्वास है।समर्पण है।त्याग है, बलिदान है, आध्यात्मिकता है और उसको ऐसा लगन लगा कि उसने अपना राजसी महल,नाता-रिश्ता,मोह-माया और सारी सांसारिक कामनाओं को त्याग दिया।और अपने आप को जोगन बना लिया। अर्थात भगवान श्री कृष्ण रूपी परमात्मा में में आत्मा रूपी मीरा समाहित हो गई।उसे परमात्मा मिल गये।इसे कहते हैं लगन-लगन।
— अशोक पटेल “आश”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578