लेखिका हूं मैं
सवाल अकसर बहुत से हमसे कर जाते
जज़्बात बताओं तुम कहां से इतने लाते
हम तो सुकून से बैठे थे कहते अभी-अभी
मन मे विचार न जाने क्यों उमड़ हैं आते।।
सवाल….
बताओ विचार जो आएं क्या कर जाते ?
हम कहते जब विचार उमड़ मेरे मन को सताते
हम काम काज में भी मन लगा नहीं पाते
तड़प इतनी अधिक भावों कि की कलम उठाते
बस फिर क्या लिखके ही तड़प से सुकून पाते।।
सवाल
इसे क्या कलम कि दीवानगी कहेंगे ?
चाहे दीवानगी कलम की कह समझाते
या लेखिका हैं मन को रोक ना हम पाते
बस में कलम और जज़्बात को नहीं कर पाते
बस लिखने बैठते जज़्बात खुद सज़ निखर हैं आते।।
कोशिश शब्द बतियाएं हमसे शब्द में जान भर जाते।।
— वीना आडवाणी तन्वी