कविता

तेरी नजर

तेरी नजरों से घायल हूँ
प्रेमी मैं एक पागल हूँ
नजरों में वो धार है
प्यारा ये संसार है
विन्दिया कर रही ईशारे
पायल छनक रही कुँवारे
चेहरा कातिल मासुम है
प्यार का ये दस्तूर है
चलो घूम आयें जग सारे
नदी का मिल जाये  किनारे
चाँदनी रात का उसूल है
रात रानी का फूल है
धीरे धीरे चॉद गगन पे आया
प्रेम का एक अरमान जगाया
चलो छुप जाये हम आज
जग में हो जायेगी राज

— उदय किशोर साह

उदय किशोर साह

पत्रकार, दैनिक भास्कर जयपुर बाँका मो० पो० जयपुर जिला बाँका बिहार मो.-9546115088