मुक्तक/दोहा

हमने भी सीखा-22

मुक्तक

जीने का मंत्र है
और जीतने का भी-
“एक-एक कदम आगे बढ़ते रहना.”

मेरी नजर मिलन की मधुरता पर है
तुम्हारी लक्ष्मणरेखा पर
पूर्व और पश्चिम का मेल
होता नहीं आता नजर

मन में तीव्र उत्कंठा हो
तो संभव हो सकता है सब कुछ
बिना उत्सुकता के कैसे हो सकता
रिश्तों का ऊंचा मुकाम!

 

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244