पुस्तक
विश्व पुस्तक दिवस पर विशेष
पुस्तक है हमारी सच्ची सहेली,
कभी-कभी लगती है अनबूझ पहेली,
समझ गए तो समझदार कहलाए,
वरना इधर-उधर ताकती अलबेली.
जिंदगी की जंग में साथ निभाती,
मार्गदर्शन कर राह दिखाती,
बोलना-चलना, उठना-बैठना,
क्या खाएं, क्या पिएं सिखाती.
धूम्रपान के नुकसान बताती,
मद्यपान से हमें बचाती,
सही राह पर नहीं चले तो,
जैसे चाहे वैसे नचाती.
बना सकते हो इसको हमसफर,
बन सकता है तुम्हारा सुहाना सफर,
आनंद की आभा है पुस्तक,
बचा सकती तुम्हें भटकना दर-ब-दर.