/ श्रमिक बनो पहले /
बातों को छिपाकर चलना
एक तरीका है जीने का
अबोध के आवरण में
खतरा भी है, भीतर और बाहर
एक जैसा व्यवहार रहना
बहुत बड़ा मोरचा चलता है
मनुष्य मनुष्य के बीच
अंतरंग की दुनिया में
जीत उसी का होता है
जो अपना और पराया का भेद
परिजनों के दिल में
चालाकी से गढ़़ सकता है
बहुत कम लोग जानते हैं
कि यह अल्पकालिक सत्य है,
इसमें समान भूमि का अभाव होता है
जब स्वार्थ का विकार
नंगे का रूप धारण करता है
तो सगे संबधी सभी हाथ धोकर
दूर भाग खड़े हो जाते हैं।
दिल खोलकर खुले आकाश में
सुंदरमय जीवन जीना
अप्राप्य है हरेक इंसान का
वही शक्तिशाली है
कुछ कर दिखा सकता है
जो बच्चे की तरह खिल – खिलाते
दिल का मल हर पल
साफ करता रहता है
समाज की दिशा उससे
बदला जा सकता है
जो श्रम ही अपना असला धर्म मानता है
उसके हाथों में, जग की रूप – रेखाएँ,
विचार की अवस्था नित्य बदलती रहती है
सुख भोग की छाया में
साधन – सपन्नता हासिल करना
असंभव की बात है
कपोल – कल्पित मूढ़ परंपरा
समाज को भटकाती है
साधारण धरातल पल
जिसका आचार – विचार होता है,
हर इंसान, जीव – जंतु के साथ
समता बनाता है
वही श्रेष्ठता पाने का अधिकारी है
अनगिनत आविष्कार
सबूत है इसका
दिन – रात के मंथन से
एकात्म होने की अवस्था में
नयी दुनिया का बीज बोया जाता है।
— पैड़ाला रवींद्र नाथ।