हमने भी सीखा-24
मुक्तक
हमने चाहा था
दर्शन हो पवित्रता का भी
पर
सौंदर्य और पवित्रता का मिलन दुर्लभ है
ऐसा लोग कहते हैं.
मुक्त रहो
मुक्त रहने दो.
खामोशी बोलती है, तस्वीर भी बोलती है
सुनते आए हैं सदियों से हम
तेरा लब न खोलना इतना पुर असर है
कि न खामोशी बोलती है न तस्वीर.
तुम न आओ ये तुम्हारी इच्छा
तुम्हारी यादें को सहेजे रखें
इस पर किसी का अंकुश नहीं.
दुःखों से मुक्ति जो चाहो
मोह से मुक्त हो आनंद पाओ.