ग़ज़ल
ग़लती यह कैसे हो गई हमसे चुना जो आपको अपने लिए
खराब कर ली ज़िंदगी हमने समझकर आपको अपने लिए
लगाया नहीं था दिल हमने, आपसे दिल्लगी के लिए
रोग अपनी ही ज़िन्दगी को, लगा लिया ख़ुद अपने लिए
छोडी नहीं कोई कमी हमने, पूरी की आपकी हर ख़ुशी
क़ुरबान कर दिया अपने आपको, आपकी हर ख़ुशी के लिए
होती नही अच्छी दिल की लगी, और कहते नहीं हैं दिल उसे
धढकता नहीं है जो सीने में, कभी भी किसी और के लिए
ग़म और ख़ुशी तो हैं, सिर्फ़ इस ज़िन्दगी के लिए ‘मदन’
भूल जाते हैं सब एक दूसरे को, मरता कोई नहीं है किसी के लिए
— मदन लाल