कविता

गर्मी की छुट्टी

गर्मी की छुट्टियों का सबको इंतजार रहता था
शाम को खेलना कूदना याद आता है
खेलते थे दोस्तों के साथ मस्ती करते थे
 उन छुट्टियों जैसी  ख़ुशी कहीं नहीं मिलती थी
सब भाई बहन इकट्ठा होकर खूब मस्ती करते थे
नानी के घर जाकर दूध मलाई खाते थे
दोपहर में सब  कैरम, लूडो,साँप सीढ़ी खेला करते थे
 शाम को सब लोग आइसक्रीम खाने जाते थे
लस्सी,बेल का शरबत ,छाछ बड़े मजे पीते थे
रात को नानी ,दादी से कहानी सुना करते थे
आज सब बड़े ,बच्चे मोबाइल पर समय बिताते है
पहले के समय में आज बहुत बदलाव आया
अब बच्चे  मोबाइल,और वीडयो पर गर्मी की छुट्टी बिताते है
सब खेल बदले गए बच्चो के टीवी पर समय पास करते है
सब कुछ बदला अब नये युग का  जन्म हुआ
गर्मी की छुट्टी के वो दिन कभी वापिस नहीं आएंगे
— पूनम गुप्ता

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश