भरोसा
छोटा सा शब्द भरोसा,ये बड़ा चमकता है।
दुनियां के हर रिश्ते में, यही बसर करता है।
कारोबार मे रोज़गार में, नगद में ये उधार में,
हर शै से हर लम्हें से, हरसू यही गुज़रता है।
है नज़र में दिल में ये, जुबां के अल्फाज़ में,
फुरसत नहीं लम्हें की है, हर बात में रहता है ।
धुरी ये जहांन की, इस पर चले है कायनात,
सिक्का नहीं नाम इसका, फिर भी चलता है।
ये इश्क वालों का खुदा है रुह में धड़कन में ये
ये लबों की दुआओं में है हर बंदे का सज़दा है
ले ले के इसका नाम अब, करते हैं लोग घात,
हर रहगुज़र से ईसका अब, जनाज़ा उठता है।
— पुष्पा अवस्थी “स्वाती”