ग़ज़ल
सत श्री अकाल ओ चाचा ।
क्या है तेरा हाल ओ चाचा ।
किधर चला है किधर से आया,
मस्त बड़ी है चाल ओ चाचा ।
ठाठ जवानी तीरों जैसी,
मगर बुढ़ापा ढ़ाल ओ चाचा ।
बारिश भांति आंसू गिरते,
किस का पास रूमाल ओ चाचा ।
इतने मीठे सुर में गाते,
वाह बहुत कमाल ओ चाचा ।
चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ती,
आयु कितने साल ओ चाचा ।
पहले थोड़ी पीनी थी ना,
ख़ुद को अब संभाल ओ चाचा ।
अब तो शर्म हया कुछ कर ले,
चांदी हो गए बाल ओ चाचा ।
सुन्दर मुखड़े सुन्दर होते,
बच कर रह भूचाल ओ चाचा ।
कब्रिस्तान में क्या ढूंढे है,
किस की तुम को भाल ओ चाचा ।
खुशबूओं को ढूंढ रहा है,
सूख चुकी यह डाल ओ चाचा ।
बालम ढूंढ रहा है तुझ को,
तेरी जांच पड़ताल ओ चाचा ।
— बलविंदर बालम