कविता

मुस्कुराना कभी न छोड़ो

चाहे सुख हो, चाहे दुख हो
अपनों से संग साथ निभाओ
‌ दोस्तों यारों के संग बैठकर
यादों की फुलझडियां फोड़ों
‌ मुस्कुराना कभी न छोड़ो ।।

एक सा वक्त कभी नहि रहता
समय का चक्र तो चलता रहता
धैर्य का दामन थामे रखो
जड़ों से रिश्ता कभी न तोड़ो
मुस्कुराना कभी न छोड़ो ।।

घर से बाहर निकले हो तो
अप्रत्याशित कुछ, घट सकता है
‌ दिल दिमाग जब काम करें ना
लम्बी सांस लो, लम्बी छोड़ो
मुस्कुराना कभी न छोड़ो ।।

चलते रहना ही जीवन है
आप स्वस्थ हैं, यह क्या कम है
चुनौतियां तो आएंगी, जाएंगी
चुनौतियों से मुख मत मोड़ो
मुस्कुराना कभी न छोड़ो ।।

जो होना है होकर रहेगा
ज्यादा किसी का बस‌ न चले गा
सही मार्ग पर चलते रहो बस
‌ बाकी सब चिंताएं छोड़ो
मुस्कुराना कभी न छोड़ो ।।

मुस्कुराना एक बड़ी नियामत
दूर करें तनाव यह झटपट
केवल मानव को यह हासिल
‌इस सुविधा से नाता जोड़ो
मुस्कुराना कभी न छोड़ो ।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई