सत्य असत्य
सत्य के चक्कर में पड़कर
घनचक्कर न हो जाइए,
सत्य की पहचान के चक्कर में
न खुद को उलझाइए।
ये कलयुग का दौर है यारों
सत्य की चाशनी में न फंसे जाइए
समय का तकाजा है
फार्मूला आपको भी पता है।
मुंह में राम बगल में छुरी छिपाकर
असत्य के मार्ग पर चलिए
सत्य का ढोल बजाइए,
जीवन का आनंद लीजिए।
सत्य की राह पर जो चल रहे हैं
कौन सा बड़ा तीर मार रहे हैं,
उल्टे असत्य की राह जो दौड़ रहे
दोनों हाथों से घी के लड्डू खा रहे हैं।
सत्य का हाल जीवन भर
फटेहाल ही रहना है,
असत्य का जो भी अनुगामी बना
अगली दो चार पीढ़ियों का
बैठे बैठे खाने का इंतजाम
आराम से करके ही मरा है।
अब ये आपकी सोच पर निर्भर है
सत्य की खोज में घिसट घिसटकर जीना है
घुट घुटकर तरसते हुए जीना और रोना है
या फिर असत्य पथ पर आगे बढ़ना
और शान औ शौकत से जीवन बिताना है,
अपने औलादों के लिए नजीर बनाना है
सत्य को ढेंगा दिखाना, मुँह चिढ़ाना है,
जीवन ऐशो आराम से बिताना है।
सोच विचार कीजिए
वास्तव में हमें अब सत्य असत्य में
असली रिश्ता किस्से बनाना है।