कवितालघुकथा

देहदानी शराबी

युवावस्था से केतन को शराब की लत क्या लगी कि वह शराबी ही कहा जाने लगा।
स्वभाव से सरल मिलनसार केतन सीमेंट फैक्ट्री में मैनेजर था। धुन का पक्का, मेहनती था। कभी शराब पीकर ड्यूटी नहीं गया।न ही फैक्ट्री में अपने शराबी दोस्तों को आने देता। शराब की ही वजह से उसने शादी नहीं की,ताकि किसी लड़की का जीवन तबाह न हो।
और आज फैक्ट्री में  ही उसकी तबियत अचानक बिगड़ गई। स्टाफ ने उसे अच्छे अस्पताल में भर्ती करा दिया।
दो दिन के इलाज के उपरांत थोड़ा सुधार हुआ। उसने इलाज करने वाले डाक्टर से बात की। पहले तो डाक्टर उससे बात ही नहीं करना चाहता था, लेकिन केतन के जोर डालने पर वो राजी हो गया, लेकिन उससे अपने परिवार, संबंधी या फैक्ट्री के जी एम को बुलाने की बात की।
परिवार था नहीं, संबंधियों ने पहले ही किनारा कर लिया था। लिहाजा जी एम को ही बुला लिया।
डाक्टर ने केतन से कहा – देखिए मि.! अब आप बमुश्किल ४-६ माह के मेहमान हो, अब शराब छोड़ने से भी आपको बचना नहीं है। अच्छा है सूकून के साथ जब तक जी रहे हैं , जिएं ,शायद २-४ माह जीवन बढ़ जाए। धरती का कोई भी डाक्टर आपको बचा नहीं पायेगा।
केतन मुस्कुरा उठा और बोला- डाक्टर मैं कल भी जिंदा था, आज भी हूं और कल भी रहूंगा। बस आप मेरा एक काम कर दीजिए।
डाक्टर ने कहा- बोलिए।
मैं देहदान करना चाहता हूं, बस आप उसकी औपचारिकता कैसे भी पूरी करा दीजिए। हमारे जी एम साहब इसके गवाह होंगे और मृत्योपरांत मेरा शरीर मेडिकल कॉलेज भिजवा देंगे-केतन के स्वर में उसका आत्मविश्वास झलक रहा था।
अवाक होकर जी एम साहब और डाक्टर केतन को देखते रहे गये।
केतन के मुख पर एक अजीब सा तेज दिख रहा था और मौत के खौफ का तो एक निशान तक न था।

 

 

*सुधीर श्रीवास्तव

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