उनकी यादों को
उनकी यादों को हम दिल से ऐसे दूर भगाते हैं
याद कभी भी जब आते हैं उनको काॅल लगाते है
जाने कब ये दूरी होगी कम वो वापस आयेगें
जीवन में फिर फूल खिलेगें हम खुल कर मुस्कायेगें
फोटो से उनकी बातें कर अपना दिल बहलाते हैं
याद कभी जब वो———–
फोन की घन्टी बजती है तो ऐसा लगता है हमको
जैसे उनका भी दिल मेरी याद दिलाता है उनको
और किसी की काल देख कर नैना नीर बहाते हैं
याद कभी जब वो————-
न श्रृंगार सुहाता है और काम न कोई भावे
मोर करे न नृत्य बाग में कोयलिया न गावे
चन्दा और सितारे अपनी आभा नही दिखाते हैं
याद कभी जब वो————-
— शालिनी शर्मा