कविता

नशा

नशा मौत और बरबादी का दरवाजा है
नशे को मत कहे मैं तुम्हारा आदी हूँ
नशा करने से पैसा और घर बर्बाद होता है
सबकी नजर में हम गिर जाते है
घर की सुख  शांती भी चली जाती है
शरीर और पैसा दोनों के लिये  अहित कारी है
नशे के कारण देश मैं अपराध बढ़े है
 करना होगा हमको इसका उपाय आओ
 सभी मिलकर हम कसम खाएं
 खुद जगें और दूसरों को भी जगाएं
 सबको यह बात समझाएं
नशा करना बहुत बुरी आदत है
 तभी तो दुख दूर होंगे हमारा
 खुशियों से झूमेगा घर आंगन
 बस यही सोच हम को अपनानी है
नशा मुक्त अभियान चलाना है
आओ मिलकर यह कदम बढ़ाए
 नशा मुक्त भारत बनाएं

पूनम गुप्ता

मेरी तीन कविताये बुक में प्रकाशित हो चुकी है भोपाल मध्यप्रदेश