मेरी ओर रूख न करो
मेरे जज़्बातों से तुम यूं अब खेलो नहीं
तोड़ा है तुमने मेरे तुकड़ों को अब छेड़ो नहीं।।
टूटे टुकड़ो को जोड़ना जब-जब मैं फिर चाहती
घात आघात कर फिर से हमें यूं तुम छोड़ो नहीं।।
मेरे बहते आंसूओं को लिख हमने सजाया
मेरे सूखे दर्द ए आंसूओं कि लड़ी को मोड़ो नहीं।।
कातिल हो तुम मेरे लबों की हर मुस्कानों के
खुशी के कातिल मेरे तुम दर्द हममे ओर जोड़ो नहीं।।
चाहती थी इतना ही कि तुम ही मेरे रहनुमा हो
वफा न निभाए तुम , तड़प अब मेरीओर रुख मोड़ो नहीं।।
क्यों यादों में आकर वीणा को तुम दर्द दे जाते हो
यूं यादों में आकर तुम मेरे हौंसलों को फिर तोड़ो नहीं।।
— वीना आडवाणी तन्वी