छप्पय छंद “शिव-महिमा”
छप्पय छंद “शिव-महिमा”
करके तांडव नृत्य, प्रलय जग में शिव करते।
विपदाएँ भव-ताप, भक्त जन का भी हरते।
देवों के भी देव, सदा रीझें थोड़े में।
करें हृदय नित वास, शैलजा सह जोड़े में।
प्रभु का निवास कैलाश में, औघड़ दानी आप हैं।
भज ले मनुष्य जो आप को, कटते भव के पाप हैं।।
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छप्पय छंद विधान –
छप्पय छंद एक विषम-पद मात्रिक छंद है। यह भी कुण्डलिया छंद की तरह छह पदों का एक मिश्रित छंद है जो दो छंदों के संयोग से बनता है। इसके प्रथम चार पद रोला छंद के हैं, जिसके प्रत्येक पद में 24-24 मात्राएँ होती हैं तथा यति 11-13 पर होती है। आखिर के दो पद उल्लाला छंद के होते हैं। उल्लाला छंद के दो भेदों के अनुसार इस छंद के भी दो भेद मिलते हैं। प्रथम भेद में 13-13 यानी कुल 26 मात्रिक उल्लाला छंद के दो पद आते हैं और दूसरे भेद में 15-13 यानी कुल 28 मात्रिक उल्लाला छंद के दो पद आते हैं।
मात्रिक छंदों की जानकारी की लिंक :- https://kavikul.com/मात्रिक-छंद-परिभाषा
बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया