मात्रिक छंद

कविता

पादाकुलक छंद “राम महिमा”

पादाकुलक छंद “राम महिमा” सीता राम हृदय से बोलें। सरस सुधा जीवन में घोलें।। राम रसायन धारण कर लें। भवसागर

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कविता

चौपई छंद “चूहा बिल्ली”

(बाल कविता) म्याऊँ म्याऊँ के दे बोल। आँखें करके गोल मटोल।। बिल्ली रानी है बेहाल। चूहे की बन काल कराल।।

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कविता

मानव छंद “नारी की व्यथा”

मानव छंद “नारी की व्यथा” आडंबर में नित्य घिरा। नारी का सम्मान गिरा।। सत्ता के बुलडोजर से। उन्मादी के लश्कर

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कविता

चंद्रमणि छंद “गिल्ली डंडा”

चंद्रमणि छंद “गिल्ली डंडा” गिल्ली डंडा खेलते। ग्राम्य बाल सब झूमते।। क्रीड़ा में तल्लीन हैं। मस्ती के आधीन हैं।। फर्क

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