चंद्रमणि छंद

कविता

चंद्रमणि छंद “गिल्ली डंडा”

चंद्रमणि छंद “गिल्ली डंडा” गिल्ली डंडा खेलते। ग्राम्य बाल सब झूमते।। क्रीड़ा में तल्लीन हैं। मस्ती के आधीन हैं।। फर्क

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