मानव छंद

कविता

मानव छंद “नारी की व्यथा”

मानव छंद “नारी की व्यथा” आडंबर में नित्य घिरा। नारी का सम्मान गिरा।। सत्ता के बुलडोजर से। उन्मादी के लश्कर

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