मुक्तक/दोहा

मुक्तक

1-चांद कहने लगा चांदनी से सुनो!
प्रीत में डूब कर प्यार के रंग बुनो!
रंग बिखरा दो ऐसा जमी पर प्रिये!
हर कली प्यार की धुन जो गाए सुनो!
2- चांदनी रात थी झिलमिलाता गगन,
 मस्त हो चल रही थी सुहानी पवन,
 याद तेरी लहर बनके ऐसी चली मुक्तक
 ना झुकी ये पलक जागते थे नयन|
3- नजर में तुम नजर आना कोई दूजा नहीं आए|
 बनो दिल की मेरी धड़कन प्यार तुझ पर मुझे आए|
कभी मत भूल जाना तुम सदा रखना यू  यादों में..
 प्रीत की रीत ऐसी हो प्यार के रंग भर जाए|

रीता तिवारी "रीत"

शिक्षा : एमए समाजशास्त्र, बी एड ,सीटीईटी उत्तीर्ण संप्रति: अध्यापिका, स्वतंत्र लेखिका एवं कवयित्री मऊ, उत्तर प्रदेश