गीत/नवगीत

इतिहास खुद ही आया वो इतिहास बताने

जो छद्मवेश धारी लगे सबसे छिपाने
इतिहास खुद ही आया वो इतिहास बताने
मंदिरों को तोड़ किया मस्जिदों के नाम
तिरपाल तले बैठे रहे मेरे प्रभु राम
कान्हा की जन्मभूमि पर भी जड़ दिया ताला
भोले की मूर्ति को तो था कूप में डाला
शिव लिंग पर थे थूकते वे करते है स्नान
भोजशाला बन गया अजान का स्थान
क्या खाक प्यार जानता वो राजा आवारा
वो प्यार की निशानी भी मंदिर था हमारा
टूटे हुवे मंदिर सुना रहें है कहानी
मौजूद अभी नींव में मंदिर की निशानी
आ गए हम फिर से हर मंदिर को सजाने
इतिहास खुद ही आया वो इतिहास बताने
आये यहाँ पे सैकड़ो आक्रांता लुटेरे
सदियों हमारी भूमि पर थे डाल के डेरे
कितनी ही हाड़ी रानियों ने शीश उतारा
पन्ना ने देश पर तो अपना पूत ही वारा
जौहरो में कूद गई पद्मिनी तमाम
लाखो हिन्दुओ का किया कत्ल खुल्लेआम
पूछो न हुआ क्या गजब ही मंदिरों के साथ
विश्व भर के नाथ हो गए थे तब अनाथ
कूप में महंत कूदे ले के शिवाला
उसमे हजारो हिन्दुओ का रक्त था डाला
आये है महादेव सनातन को बचाने
इतिहास खुद ही आया वो इतिहास बताने
— मनोज डागा “राजस्थानी”

मनोज डागा

निवासी इंदिरापुरम ,गाजियाबाद ,उ प्र, मूल निवासी , बीकानेर, राजस्थान , दिल्ली मे व्यवसाय करता हु ,व संयुक्त परिवार मे रहते हुए , दिल्ली भाजपा के संवाद प्रकोष्ठ ,का सदस्य हूँ। लिखना एक शौक के तौर पर शुरू किया है , व हिन्दुत्व व भारतीयता की अलख जगाने हेतु प्रयासरत हूँ.