मेरी साइकिल
मेरे पापा साइकिल लाए,
लाल रंग की साइकिल लाए,
चुस्त और तंदुरुस्त रहूं मैं,
इसीलिए हैं साइकिल लाए.
मम्मी कहतीं “ला दे धनिया”,
फट से मैं ले आता हूं,
इसी बहाने इसे चलाऊं,
शाबाशी भी पाता हूं.
टन-टन टन-टन घंटी बजाऊं,
राजू-बबलू दौड़े आते,
मुझे देख साइकिल को चलाते,
खुश होकर हैं ताली बजाते.
साइकिल पर मैं करूं सवारी,
मित्रों का भी मन ललचाए,
कहते “तेरे पापा अच्छे,
तेरे लिए साइकिल ले आए”.
कभी उन्हें पीछे बिठलाऊं,
थोड़े में वे खुश हो जाते,
बारी-बारी से साइकिल मेरी,
चलाकर वे भी आनंद पाते.