लघुकथा

अपराध बोध

“बेटा साहब को आदाब करो।” खालिद ने उसे इशारे से कहा तो बच्चे ने हाथ उठा जरा सा सिर झुका दिया।

कई हफ्तों बाद वह खालिद के पास आया था। एक हादसे में अकेला रह जाने के बाद से खालिद, ‘घाटी’ की उस खंडहर बनी मस्जिद में तन्हा ही जिंदगी गुजार रहा था और अक्सर दहशतगर्दों से जुडी अहम खबरें उसे दे दिया करता था। बच्चे को साथ देख वह सहज ही उसके बारें में जानने को उत्सुक हो गया। “इस बच्चे का परिचय नही दिया तुमने खालिद मियाँ!”

“कुछ ज्यादा तो मैं भी नहीं जानता साहब। बस यूँ समझिये, मेरी ही तरह हादसे का शिकार है और चंद दहशतगर्दों पर आप फौजियों की कार्यवाही में ही ये अपना सब कुछ खो बैठा है। हादसे ने बेचारे को पूरी तरह खामोश कर दिया है जनाब।” अपनी बात कहते हुए खालिद की नजरें सहज ही उसकी ओर जा टिकी, उसे लगा मानो कह रही हो। “हमारे गुनाहगार भी आप ही हो जनाब।”

“खालिद मियाँ!” मन के भाव को दबाते हुये उसने सलाह देनी चाही। “बेहतर होता कि तुम इसे किसी ऐसी जगह के हवाले करते जहां इसका मुक्कमल इलाज और परवरिश हो पाती।”

“साहब, यतीमखानों के हालात तो आप जानते ही हो और फिर मैं नही चाहता था कि इस पर किसी शैतान का साया पड़े। बस इसीलिए मैंने इसे अपने साथ ही रख लिया।”

“क्या सीखेगा यहाँ? दहशतगर्दी!” उसके चेहरे पर व्यंग्य के भाव आ गए।

“नही जनाब!” खालिद के चेहरे पर एक यकीं चमकने लगा। “मैं तो इसे आप की तरह एक बहादुर जवान बनाऊंगा।” कहते हुये खालिद की नजरें उसकी फौजी वर्दी पर जा टिकी।

“खालिद मियाँ एक बात कहूँ।” मन में गहरे लगी बात ने उसे एकाएक गंभीर कर दिया। “तुम इस मासूम को ‘जवान’ न बना सको तो न सही, लेकिन हो सके तो एक इंसान बनाने की कोशिश जरूर करना।” बात पूरी करते-करते उसकी नजरें अपनी ही वर्दी पे लगे चंद धब्बों पर जा चुकी थी।

विरेंदर ‘वीर’ मेहता

विरेन्दर 'वीर' मेहता

विरेंदर वीर मेहता जन्म स्थान/निवास - दिल्ली सम्प्रति - एक निजी कंपनी में लेखाकार/कनिष्ठ प्रबंधक के तौर पर कार्यरत। लेखन विधा - लघुकथा, कहानी, आलेख, समीक्षा, गीत-नवगीत। प्रकाशित संग्रह - निजि तौर पर अभी कोई नहीं, लेकिन ‘बूँद बूँद सागर’ 2016, ‘अपने अपने क्षितिज’ 2017, ‘लघुकथा अनवरत सत्र 2’ 2017, ‘सपने बुनते हुये’ 2017, ‘भाषा सहोदरी लघुकथा’ 2017, ‘स्त्री–पुरुषों की संबंधों की लघुकथाएं’ 2018, ‘नई सदी की धमक’ 2018 ‘लघुकथा मंजूषा’ 2019 ‘समकालीन लघुकथा का सौंदर्यशस्त्र’ 2019 जैसे 22 से अधिक संकलनों में भागीदारी एवँ किरदी जवानी भाग 1 (पंजाबी), मिनी अंक 111 (पंजाबी), गुसैयाँ मई 2016 (पंजाबी), आदि गुरुकुल मई 2016, साहित्य कलश अक्टूबर–दिसंबर 2016, साहित्य अमृत जनवरी 2017, कहानी प्रसंग’ 2018 (अंजुमन प्रकाशन), अविराम साहित्यिकी, लघुकथा कलश, अमर उजाला-पत्रिका ‘रूपायन’, दृष्टि, विश्वागाथा, शुभ तारिका, आधुनिक साहित्य, ‘सत्य की मशाल’ जैसी विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित। सह संपादन : भाषा सहोदरी लघुकथा 2017 (भाषा सहोदरी), लघुकथा मंजूषा 3 2019 (वर्जिन साहित्यपीठ) एवँ लघुकथा कलश में सम्पादन सह्योग। साहित्य क्षेत्र में पुरस्कार / मान :- पहचान समूह द्वारा आयोजित ‘अखिल भारतीय शकुन्तला कपूर स्मृति लघुकथा’ प्रतियोगिता (२०१६) में प्रथम स्थान। हरियाणा प्रादेशिक लघुकथ मंच द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता (२०१७) में ‘लघुकथा स्वर्ण सम्मान’। मातृभारती डॉट कॉम द्वारा आयोजित कहानी प्रतियोगिता (२०१८) ‘जेम्स ऑफ इंडिया’ में प्रथम विजेता। प्रणेता साहित्य संस्थान एवं के बी एस प्रकाशन द्वारा आयोजित “श्रीमति एवं श्री खुशहाल सिंह पयाल स्मृति सम्मान” 2018 (कहानी प्रतियोगिता) और 2019 (लघुकथा प्रतियोगिता) में प्रथम विजेता।