ग़ज़ल
महफ़िल ग़ज़ल की सजाना चाहिए
तब ग़ज़ल को रूह से गाना चाहिए
रोशनी के लिए ही क़ुर्बान हो
शम’अ मानिंद दिल जलाना चाहिए
ये हुस्न मशहूर ही तो रहा
चाँदनी के गीत गाना चाहिए
आज देखा जो उन्हें दिल खो गया
हादसा उनको बताना चाहिए
दिल दिया जाता ज़माने में जिसे
संग उसका ही निभाना चाहिए
ले कभी जो इम्तिहान ज़रा सुनो
आग में भी कूद जाना चाहिए
नाज़ – नख़रे तो उठाने ही सदा
तब न तुमको लड़खड़ाना चाहिए
जो लताड़ा ही कभी उसने ज़रा
हुक्म उसका ही बजाना चाहिए
चीज़ कोई माँग ली उसने तभी
तो अदा करना ख़ज़ाना चाहिए
छोड़ साथी ही चला कुछ बात पर
लाख रूठा हो मनाना चाहिए
ज़िंदगी जी लो खुशी के संग ही
सुन न दिल उसका दुखाना चाहिए
— रवि रश्मि ‘अनुभूति ‘