कविता

एक दिन कहानी बन जाऊँगी

आज खिलखिलाती हूँ
बिखेर मुस्कानें अपनी
होंठ भी हँस पड़ते हैं
आज जब उदास होती हूँ
बिखर जाती है नमी पलकों के कोरों पर
जब मिलती हूँ किसी से
रह जाती है छाप उसके दिल पर हमारी
नाम मानो लिख जाता हो उसके
 दिल और दिमाग पर
इस तरह हो अपना या पराया
 देता स्नेह, प्यार, सम्मान, अपनापन
ये ही तो है पहचान मेरी
जो रूठ भी जाते या हो
जाती कोई गलतफहमी
वो भी ज़्यादा देर रह नहीं
पाते दूर जब सुलझ जाती
गूथि आशंकाओं की
उम्र के कितने ही पड़ाव पार
हुए यूँ देख मौसम कई
मिलन, जुदाई, विदाई, पाने और खोने के
पर नहीं कुछ बदला तो दिल मेरा,
न स्वभाव, न कोमलता, न सहनशीलता
आज पड़ते हो मुझे रचनाओं में
या मिलते हो प्रत्यक्ष
जब रुक जाएंगी साँसे
थम जाएगी ज़िन्दगी
तब तुम्हारी यादों में, दिलों में
एक दिन कहानी बन जाऊँगी
जिसे चाह कर भी भूला न पाओगे कभी भी
सदा रहूँगी मुस्कुराती तुम्हारे जहन
में बनकर मीठी कसक।।
— मीनाक्षी सुकुमारन

मीनाक्षी सुकुमारन

नाम : श्रीमती मीनाक्षी सुकुमारन जन्मतिथि : 18 सितंबर पता : डी 214 रेल नगर प्लाट न . 1 सेक्टर 50 नॉएडा ( यू.पी) शिक्षा : एम ए ( अंग्रेज़ी) & एम ए (हिन्दी) मेरे बारे में : मुझे कविता लिखना व् पुराने गीत ,ग़ज़ल सुनना बेहद पसंद है | विभिन्न अख़बारों में व् विशेष रूप से राष्टीय सहारा ,sunday मेल में निरंतर लेख, साक्षात्कार आदि समय समय पर प्रकशित होते रहे हैं और आकाशवाणी (युववाणी ) पर भी सक्रिय रूप से अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत करते रहे हैं | हाल ही में प्रकाशित काव्य संग्रहों .....”अपने - अपने सपने , “अपना – अपना आसमान “ “अपनी –अपनी धरती “ व् “ निर्झरिका “ में कवितायेँ प्रकाशित | अखण्ड भारत पत्रिका : रानी लक्ष्मीबाई विशेषांक में भी कविता प्रकाशित| कनाडा से प्रकाशित इ मेल पत्रिका में भी कवितायेँ प्रकाशित | हाल ही में भाषा सहोदरी द्वारा "साँझा काव्य संग्रह" में भी कवितायेँ प्रकाशित |