गीत/नवगीत

जियो और जीने दो

जियो और जीने दो में ही,जीवन का सम्मान है।
सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है।।
वक़्त कह रहा है हमसे,
नैतिकता भी करे पुकार
जागो भाई कुछ अब तो,
करो न मानवता शर्मसार
प्रेम,नेह,करुणा से ही तो,मानव बने महान है।
सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है।।
दीन-दुखी के अश्रु पौंछकर,
जो देता है सम्बल
पेट है भूखा,तो दे रोटी,
दे सर्दी में कम्बल
अंतर्मन में है करुणा तो,मानव गुण की खान है।
सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है।।
धन-दौलत मत करो इकट्ठा,
कुछ नहिं पाओगे
जब आएगा तुम्हें बुलावा,
तुम पछताओगे
हमको निज कर्त्तव्य निभाकर,पा लेनी पहचान है।
सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है।।
शानोशौकत नहीं काम की,
चमक-दमक में क्या रक्खा
वहीं जानता सेवा का फल,
जिसने है इसको चक्खा
देव नहीं,मानव कहलाऊँ,यही आज अरमान है।
सेवा से जीवन की शोभा,मिलता नित यशगान है।।
— प्रो (डॉ) शरद नारायण खरे

*प्रो. शरद नारायण खरे

प्राध्यापक व अध्यक्ष इतिहास विभाग शासकीय जे.एम.सी. महिला महाविद्यालय मंडला (म.प्र.)-481661 (मो. 9435484382 / 7049456500) ई-मेल[email protected]