धमक
समुद्र गर्जन का शोर है
दफ्तर में बैठा घुसखोर है
एक अकेला क्या करेगा साईं
हर युग में चोर मचाय़ा शोर है
उनका धमक चहुँओर है
बेवकूफ बना जग में सिरमोर है
शरीफों का अब कद्र नहीं है
बेईमानों का चलन सब ओर है
राष्ट्रीयता का मुद्दा एक ओर है
धर्म की लड़ाई का जोर है
राष्ट्र की कोई फिक्र नहीं
राजनीति से बॅधा हर डोर है
बुलडोजर बाबा का दौर हे
पसंद योगी की चहुँओर है
ना वकील ना मुकदमे बाजी
फैसला तुरंत का ठौर है
कुछ लोग यहाँ कामचोर है
राष्ट्र कोष लुटने की होड़ है
सी बी आई क्या करेगा भाई
स्वतंत्र भारत का यह भोर है
— उदय किशोर साह