कविता

पिता

पिता  पालक  है,  जनक  है
पुत्र का सहारा है, सर्जक  है।
पिता निर्माणक है,साधक है
पुत्र  के  लिए  मार्गदर्शक  है।

पिता पथ है,आधारशिला  है
पुत्र के लिए, कवच किला है।
इसका  साया जिसे  मिला है
वही फूल की तरह  खिला है।

पिता तरु  है, शीतल  छाँव है
पुत्र का नही  कोई अभाव  है।
पिता  मन  की भाषा  भाव है
पुत्र  पिता  का  आविर्भाव  है।

पिता  पुत्र के लिए पतवार है
पिता पुत्र  का, पालनहार  है।
पिता  पुत्र  का  सर्जनहार  है
पिता  पुत्र  का  घर संसार है।

पिता ही  तो भाग्यविधाता  है
पिता पुत्र  का अटूट  नाता है।
पिता  घर को  स्वर्ग बनाता है
पिता पूत को सपूत बनाता है।

पिता  मंजिल को  दिखाता है
पिता ही  चलना  सिखाता  है।
पिता  अपना  धर्म निभाता है
पिता पुत्र को कर्मठ बनाता है।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578