मुक्तक/दोहा

बिकता नहीं गुलाब

नफरत के बाजार में ,बिकता नही गुलाब ,
यहां सभी देते रहे ,काँटों भरे जवाब।

सच कहना आसान है ,पर उसमे है झोल ,
कांटे जिस सच से चुभें,वह सच कभी न बोल।

असफलता को देखकर,क्यों घबराता यार,
ये तो शूल पड़ाव है,आगे फूल बहार।

फूल तुझे जो चाहिए ,करना शूल क़ुबूल ,
यह जीवन का सत्य है ,जग का यही उसूल।

सभी चाहते हैं सखे ,सूंदर फूल गुलाब ,
पर उसके हर शूल से ,नफरत करें जनाब।

— महेंद्र कुमार वर्मा

महेंद्र कुमार वर्मा

द्वारा जतिन वर्मा E 1---1103 रोहन अभिलाषा लोहेगांव ,वाघोली रोड ,वाघोली वाघेश्वरी मंदिर के पास पुणे [महाराष्ट्र] पिन --412207 मोबाइल नंबर --9893836328