12 2 1 2 2 122 12 (1386)
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ज़माने से खुद को निभाये हैं हम
गलत बात पर तिलमिलाये हैं हम…
दिखावे की दुनियां करें साज़िशें
यही सोच खुद को बचाये हैं हम…
उम्मीदों पे कायम है सारा जहाँ
खुदी हौसलों में समाये हैं हम…
बड़े शौक़ गैरों से मिलते सभी
वजह दूरियों की पराये हैं हम…
किसी पर यक़ी कोई कितना करें
हक़ीक़त यहाँ आजमायें है हम..
चिरागों से रोशन रहा आशियाँ
वफ़ा नाम अपना बताये हैं हम…
अगर जान लो हम अधूरे नही
लिखें नंदिता दिल मिटाये है हम…!!