गज़ल
तेरा चेहरा इन आँखों से भुलाया भी नहीं जाता,
मुझसे खेला है तू ऐसे बताया भी नहीं जाता,
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सफाई हाथ की मशहूर है अपनी ज़माने में,
सिवाय दिल के हमसे कुछ चुराया भी नहीं जाता,
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अपनी दास्तान ए दिल सुनाएं भी किसी को क्या,
छुपाएं कैसे दिल में गम छुपाया भी नहीं जाता,
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सभी को इश्क ने लूटा कोई बाकी रहा है क्या,
कयामत है मगर खुद को बचाया भी नहीं जाता,
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मेरे सीने पे अपनी ऊंगलियों से जो लिखा तुमने,
नज़र आता नहीं लेकिन मिटाया भी नहीं जाता,
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सिल रखे हैं लब हमने शिकवे हैं बहुत यूँ तो,
कहें पर क्या उनका दिल दुखाया भी नहीं जाता,
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नहीं मोहताज हैं सजदे मेरे किसी खास दर के पर,
हर इक दर पर हमसे सर झुकाया भी नहीं जाता,
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मुहब्बत के लिए कुछ खास दिल मखसूस होते हैं,
हर महफिल में ये नगमा सुनाया भी नहीं जाता,
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आभार सहित :- भरत मल्होत्रा।