लघुकथा

साहस

“मनू मेरा तो हुआ अब तेरा क्या होगा” गाना चल रहा था.
संगीता के मन में विचार-लहरियां आ-जाकर अपनी झलक दिखा रही थीं.
संगीता के घर में और चैंबर में बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा होता है
“एडवोकेट संगीता”.
पढ़ने में रुचि न लेने वाली सामान्य घराने की संगीता ऐसे ही एडवोकेट नहीं बन पाई! पिता का प्रोत्साहन और पड़ोस की शांता चाची की समझाइश ने उसमें साहस का संचार किया. अब भी उसे वे मंजर याद आते हैं-
“अरे कुछ तो पढ़ भी ले! पढ़-लिखकर कुछ बन जाएगी तो जिनगी भर सुखी रहेगी.” पिता संगीता को समझाते हुए कहते.
“मोहे ना पढ़नो, सारा दिन किताब-कलम लिए रहो, न खेलबो न नाचबो.”
“शुकर कर तेरा बापू तोहे पढ़बे को कहे और पीसा भी देवे.” पड़ोस की शांता चाची समझातीं, “म्हारे टेम में तो पढ़बे की इजाजत भी कोनी थी!”
“काहे से?”
“वही परदा करो, घर मांहिं रहो, रोटले सेको, गोबर थापो. फेर भी कोई-कोई महिला तो हिम्मत करके बहुत पढ़-लिखकर बड़ा ओहदा पाय गई. वाने भी पिता को साथ मिल्यो थो. तू भी हिम्मत कर ले.”
शायद शांता चाची की समझाइश ने उसे पढ़ाई की डगर दिखा दी थी.
“साहस की पुतली कमला सोहनी- विज्ञान में पी. एच. डी करने वाली पहली भारतीय महिला.” संगीता ने कमला सोहोनी की जीवनी पढ़ी.
“विज्ञान में पी. एच. डी करने के लिए कमला को सर सी.वी.रमन के खिलाफ सत्याग्रह करना पड़ा. रमन जी के अनुसार वह जगह महिलाओं के लिए नहीं थी, कमला के साहस के आगे रमन जी भी बौने पड़ गए. कमला ने विज्ञान में पी. एच. डी कर नाम भी कमाया और बड़ा ओहदा भी पाया.”
“सिंधी-हिंदी की साहित्यकारा पोपटी हीरानंदानी ने समाज के सब बंधन तोड़कर पढ़ाई की, ढेरों किताबें लिखीं, साहस से कैंसर को भी मात दे दी.”
“कलकत्ता की दुर्गा दादी के क्या कहने! खुद आठवीं तक पढ़ पाई, बच्चियों को पढ़ाने के लिए आठ स्कूल खोले. उनके साहस का जवाब नहीं!”
मुझे भी ऐसा कुछ करना चाहिए, दुर्गा दादी संगीता के लिए गॉड मदर बन गई थीं.
“मनू मेरा तो हुआ अब तेरा क्या होगा” गाना अभी चल ही रहा था.
“मैं कुछ बन गई हूं, तो औरों को भी कुछ बनाना होगा.” गाना सुनकर उसने सोचा.
रात को उसके पास कानूनी कोचिंग के लिए अनेक जरूरतमंद बच्चियां आने लग गई थीं. उसके घर के बाहर बड़ी-सी होर्डिंग जो लग गई थी-
“जरूरतमंद बच्चियों को कानून की मुफ्त कोचिंग”
साहस ने साहस से साहस का संचार कर उसका और सबका मनचाहा पथ प्रशस्त कर दिया था.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244