लघुकथा

आज कल इंसाफ

परी और मौर्य मोटर साइकिल पर जा रहे थे। परी और मौर्य की नई नई शादी हुई थी तो कुछ गहने भी पहन रखे थे।दोनों मस्ती से चलचित्र देख घर की ओर जा रहे थे।नई शादी और दोनों का साथ में मोटर साइकिल पर बतियाते हुए जाना दोनों के लिए काफी रोमांचक था।हल्की बारिश भी ही रही थी दोनों प्यार भरी बात करते हुए सड़क के एक तरफ आराम से चलाएं जा रहे थे।थोड़ी देर आगे गए तो एक बदमाश ने शरारत की और उनके सामने आ खड़ा हो गया,दोनों गिरने से तो बच गए लेकिन मोटर साईकिल तो गिर ही गई  और वह बदमाश ने परी के गले पर चाकू रख दिया और उसे गहने उतरने को कहा तो मौर्य ने उसे दे देने के लिए बोला और वह गहने उतारने लगी और अब वह बदमाश उसके शरीर को हाथ लगा उसे मदद करने का नाटक कर यहां वहां छूने की कोशिश करने लगा तो मौर्य को गुस्सा आ गया और उसे धक्का मार दिया और मिनटों में उसने जो चाकू परी के और निशाना लगा के रखा था उसी से मौर्य पर वार कर दिया जो उसको छाती में लगा और वह गिर गया।काफी खून बह रहा था तो वह घबरा गया और कुछ चिल्लाया तो एक मोटर साइकिल पर दो बदमाश आएं जो कहीं आसपास ही छुपे हुए थे।वह लपक कर उनके साथ बैठ भाग गया और परी ने कुछ आते जाते लोगों से मदद ले एंबुलेंस बुलाई और मौर्य को पास के अस्पताल में ले गए जहां उसका इलाज होने से जान का खतरा टल गया।
पुलिस केस किया गया और पुलिस ने पूरा बयान सुना और कैस दर्ज कर दिया ।जो मामला दर्ज हुआ वह था ,परी और मौर्य को बाइक से गिराना और तीन सवारी में बाइक चलाना जो कि गैरकानूनी हैं।
— जयश्री बिरमी

जयश्री बिर्मी

अहमदाबाद से, निवृत्त उच्च माध्यमिक शिक्षिका। कुछ महीनों से लेखन कार्य शुरू किया हैं।फूड एंड न्यूट्रीशन के बारे में लिखने में ज्यादा महारत है।

One thought on “आज कल इंसाफ

  • डॉ. विजय कुमार सिंघल

    वे दोनों महामूर्ख थे जो गहने पहनकर रात में सड़क पर निकले थे। गहने केवल समारोहों में पहनने चाहिए जहाँ अधिक सुरक्षा होती है।

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