कविता

बदलता परिवेश

 

रोज रखता था चिड़िया के लिए पानी

कुछ दिन से आती है चोंच डालती है

चोंच डाल बिना पानी पिए उड़ जाती है

कई दिन हो गए आती रोज है

पर बिन पानी पिए लौट जाती है

समझ नहीं आया ऐसा क्यों करती है

फिर ख्याल आया

कहीं ऐसा तो नहीं

पहले मैं आर ओ का पानी रखता था

वह आकर रोज पी जाती थी

अब मैं नल का पानी रखता हूं

आज जब रखा आर ओ का पानी

तो फटाफट पी गई और उसमें डुबकी भी लगा गई

*ब्रजेश गुप्ता

मैं भारतीय स्टेट बैंक ,आगरा के प्रशासनिक कार्यालय से प्रबंधक के रूप में 2015 में रिटायर्ड हुआ हूं वर्तमान में पुष्पांजलि गार्डेनिया, सिकंदरा में रिटायर्ड जीवन व्यतीत कर रहा है कुछ माह से मैं अपने विचारों का संकलन कर रहा हूं M- 9917474020