कविता

मेरे पापा

प्यार हमेशा करने वाले।
जीवन खुशियाँ भरने वाले।।
सच्चे मित्र कहाते पापा।
अपने साथ घुमाते पापा।।

बचपन में वो साथ चलाते।
सदा हमें संस्कार सिखाते।।
बच्चों सँग बच्चे बन जाते।
जोर – जोर से हमें हँसाते।।

चाट पकौड़े खूब खिलाते।
मेले में लेकर भी जाते।
झूला हमें झुलाते पापा।
जोकर से मिलवाते पापा।।

सदा सत्य की राह दिखाते।
उस पर चलना हमें सिखाते।।
गलती में वे डाँट लगाते।
सदाचार हमको बतलाते।।

हिम्मत करना हमें सिखाते।
जीवन रक्षा कवच कहाते।।
अपना दर्द छुपाते पापा।
गम पर भी मुस्काते पापा।।

— प्रिया देवांगन “प्रियू”

प्रिया देवांगन "प्रियू"

पंडरिया जिला - कबीरधाम छत्तीसगढ़ [email protected]