जनसंख्या विस्फोट : निकट भविष्य के लिए बड़ा खतरा
जनसंख्या किसी भी क्षेत्र में रह रहे लोगों की संख्या है। जैसे जैसे लोगों की गिनती बढ़ती जाती है जनसंख्या वृद्धि का आंकड़ा भी बढ़ने लगता है। जनसंख्या वृद्धि किसी भी क्षेत्र में लोगों की संख्या वृद्धि को कहा जाता है। आरम्भ में तो यह वृद्धि ज्यादा नुकसानदायक नहीं हुई लेकिन वर्तमान परिदृश्य में बढ़ती जनसंख्या एक चुनौती का रूप धारण कर रही है। पूरे विश्व में मनुष्यों की जनसंख्या प्रतिवर्ष लगभग 8.3करोड़ की दर से बढ़ती जा रही है। जनसंख्या में हो रही यह वृद्धि आज हमारे लिए घातक साबित होती जा रही है। जैसे जैसे जनसंख्या बढ़ेगी संसाधनों की उपलब्धता कम होती जाएगी और पर्याप्त संसाधन न जुटा पाने से भूखमरी, गरीबी, बेरोजगारी जैसे हालात पैदा होने लगेंगे। विश्व में चीन आज सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है। इतनी आबादी का पेट भरने की समस्या आज चीन के पास सबसे बड़ी है। भारत जैसे। विकासशील देश की बात करें तो भारत का जनसंख्या के आधार पर विश्व में दूसरा स्थान है। बढ़ती आबादी भारत के लिए अभिशाप बन गई है। इतनी आबादी के लिए संसाधन जुटा पाना सम्भव नहीं हो पाता। परिणामस्वरूप देश में गरीबी
बढ़ती जा रही है। बेरोजगारों की फौज तैयार हो रही है जो आए दिन देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की फिराक में रहती है।
जनसंख्या बढ़ने के कारणों पर नजर डालें तो अनेक कारण ऐसे उभर आएंगे जिन्हे हम तुच्छ समझते हैं। भारत की आधी आबादी गांव में बसती है और हम सभी जानते हैं कि गांवों में शिक्षा सुविधाएं काफी देर से पहुंची है। शिक्षा के अभाव में आज भी वहां लिंग भेद को बढ़ावा दिया जाता है। अपने कुलदीपक की चाह रखने वाले लोगों के कारण आज भी बेटियों की कतार लग जाती है और उन्हीं बेटियों को शिक्षा, चिकित्सा, पौष्टिक आहार से वंचित रखा जाता है जो बेटियां अपने मां बाप की एक छींक आने पर भी हजारों किस्म के नुस्खे आजमा लेती हैं ताकि उनके माता पिता को कोई तकलीफ़ न हो। अंधविश्वासों के कारण भी जनसंख्या नियंत्रण करना मुश्किल हो रहा है। आज भी अंसख्य उदाहरण ऐसे मिल जाएंगे जो कहते हैं कि जो दुनिया में आएगा साथ ही कमाने के लिए दो हाथ लेकर आएगा लेकिन उन्हें यह समझ नहीं आता कि उन दो हाथों के कमाने लायक होने के बीच बीस बाईस वर्ष का फासला रहता है। लोगों की इसी मानसिकता के कारण फिर बाल मजदूरी जैसा कलंक समाज के माथे पर लगता है। अनेक स्थानों में यह भी मत प्रचलित हैं कि बेटियों को जितना जल्दी हो सके उनके हाथ पीले कर देना ही उचित है । इस तरह से भी जनसंख्या वृद्धि को बढ़ावा मिलता है । जिस उम्र में पढ़ाई लिखाई करनी चाहिए उस उम्र में यदि बच्चों को शादी के बन्धन में बांध लिया जाए तो उनसे क्या उम्मीद रखी जा सकती है समाज के लिए कुछ करने की??
जनसंख्या वृद्धि किसी भी तरह से देश हित में नहीं है। बढ़ती जनसंख्या के हिसाब से मकान, शिक्षा, चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती । आए दिन हम देखते हैं कि हर तरफ लोगों की कतारें लगी रहती हैं। बैंक में लेनदेन हो या अस्पतालों में इलाज करने हेतु आए मरीज।
हमेशा यही शिकायत रहती है हमारी कि समय पर इलाज नहीं मिलने से हमारे अमुक रिश्तेदार की मौत हो गई। ज़रा उन चिकित्सकों का भी ध्यान करें जिन्हें एक समय में दस दस मरीजों को देखना होता है। परिवार नियोजन के प्रति विमुखता या उचित जानकारी के अभाव में भी आज जनसंख्या का यह आंकड़ा आसमान छूने लगा है।
यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में भारत में खाद्यान्न संकट होने के आसार स्पष्ट देखे जा सकते हैं। शहरीकरण की आबोहवा में आज सभी इतने रम गए हैं कि खेती बाड़ी करना हमें गंवारू जान पड़ता है। हम खाने में ताज़ा फल सब्जी चाहते हैं लेकिन उनका उत्पादन करने से हमें परहेज है। यही हालात रहे तो वह दिन भी दूर नहीं जब भूखों मरने की नौबत आन पड़ेगी।
जनसंख्या नियंत्रण आज सबसे बड़ी चुनौती बन गया है । जनसंख्या नियंत्रित करने का यदि प्रयास नहीं किया जाए तो आगामी कुछ ही वर्षों में हम भारत को भयानक गरीबी, भूखमरी, अराजकता की आग में जलता हुआ देखेंगे। भारत के प्रत्येक गांव में शिक्षा सुविधाएं पहुंचाने के लिए प्रयास करें ताकि वहां भी बाल विवाह, परिवार नियोजन जैसे तरीकों के बारे में जानकारी हो पाए। जनसंख्या नियंत्रण आज के समय में आवश्यकता हो गई है क्योंकि जब तक हम दो करोड़ बेघरों को घर दे पाएंगे तब तक दस करोड़ बेघर और पैदा हो जाएंगे। इसलिए सबसे पहले ‘जनसंख्या नियंत्रण कानून ‘ देश के विकास के लिए सर्वप्रथम है।
— रोमिता शर्मा “मीतू”