स्वास्थ्य

जानें क्या होता है तंदुरुस्ती का असली राज़

एक स्वस्थ जीवन जीने की इच्छा प्रत्येक व्यक्ति रखता है ।दुनिया में कोई भी व्यक्ति नहीं चाहता कि वह अस्वस्थ रहे ,बीमार रहे। अपने आप को बीमारियों से बचाने के लिए हम ना जाने कितने ही जतन करते हैं ,किन किन उपायों को अपनाते हैं और स्वस्थ जीने के स्वप्न को साकार करने के लिए हर संभव कोशिश भी करते हैं जो कि नितांत सराहनीय भी है। हम सभी की सदैव कोशिश रहनी चाहिए कि हम हर संभव प्रयत्न से अपने आप को बीमारियों से बचा कर रखें और एक स्वस्थ जीवन जीने की दिशा में समुचित कार्य करें। स्वस्थ जीवन जीने की चाहत तो हम सभी में होती है ,किंतु हम में से बहुत से लोग अभी भी इतने जागरूक और संवेदनशील नहीं हैं ,विशेषकर अपने स्वास्थ्य को लेकर।रोजमर्रा की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम इतना अधिक मशगूल हो जाते हैं कि हम दैनिक कार्यों में खो कर ही रह जाते हैं और अपनी ओर ध्यान ही नहीं दे पाते। यह सर्वथा गलत है ।अपने प्रति हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है जिसे हमें हर हाल में प्राथमिकता के आधार पर निभाना ही चाहिए।
अपने प्रति इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए हमें कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए जिससे हम तंदुरुस्त रह सकें और समाज के लिए उपयोगी बन सकें। याद रहे, परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई कहलाती है। परिवार के प्रति जिस प्रकार हम अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं और समाज को अपना योगदान देते हैं उसी प्रकार हमें अपने प्रति अपने फर्ज को निभाना चाहिए और हमारा हमारे प्रति सबसे बड़ा फर्ज है अपने आप को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखना क्योंकि तभी हम समाज के लिए भी उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं ।एक बीमार और रुग्ण व्यक्ति समाज के लिए उपयोगी नहीं अपितु एक जिम्मेदारी ही मानी जाती है। लंबे समय तक बीमार रहने वाले व्यक्ति अपनी उम्र से अधिक दिखाई देते हैं और जीवन जीने के प्रति उनकी रुचि का ह्रास भी स्वत: ही धीरे धीरे होने लगता है। जीवन उनके लिए किसी बोझ से कम नहीं रह जाता और फिर शुरुआत होती है उनके जीवन में अनावश्यक दुखों और तकलीफों की।
तंदुरुस्ती शारीरिक ,सामाजिक,मनोवैज्ञानिक और मानसिक अनेक प्रकार की होती है। जिस प्रकार अपने शरीर को सुंदर दिखाने के लिए ,उसे आकृष्ट बनाने के लिए हम सुंदर सुंदर वस्त्रों को धारण करते हैं, उसी प्रकार अपने शरीर की आंतरिक स्वस्थता के लिए भी हमें सुंदर-सुंदर स्वादिष्ट और पोषक भोजन और खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए और उन सभी चीजों से अपने आप को दूर रखना चाहिए जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक समझे जाते हैं। इनमें अधिकतर तैलीय खाद्य पदार्थ, जंक फूड और तेज मसाले वाली चीजें आती हैं। अपने शरीर को समय-समय पर डिटॉक्सिकेट करना भी हमारी जिम्मेदारी है।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए हमें कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए जिनमें से कुछ बातें इस प्रकार हो सकती है:
१) सर्वप्रथम हमें अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बनाना चाहिए क्योंकि नकारात्मक दृष्टिकोण रखने वाले व्यक्ति जीवन में सदैव असंतुष्ट रहते हैं और जीवन उनको किसी बोझ और अरुचिकर यात्रा से कम नहीं लगता।
२) दूसरों में कमियां और दोष निकालने की बजाय यदि हम उनकी अच्छाइयों को सराहने की अपनी आदत को विकसित करें तो जीवन जीना ना केवल आसान हो जाएगा,अपितु यह हमें सुंदर भी लगने लगेगा। प्रकृति के कण-कण में सुंदरता और अच्छाई ढूंढने की कोशिश करें ।कमियां खामियां निकालना जितना आसान होता है ,अच्छाइयों को उजागर करना उतना ही मुश्किल। परंतु हमें हर संभव कोशिश करनी चाहिए कि हम चीजों के उजले पक्ष को देखें और सराहें। ऐसा करना,अप्रत्यक्ष रूप से हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यधिक लाभप्रद सिद्ध होता है।
३) नियमित रूप से शारीरिक व्यायाम ,मेडिटेशन और योग करने से भी हमारे स्वास्थ्य पर अनुकूल प्रभाव दृष्टिगत होता है योग और मेडिटेशन करने से ना केवल शारीरिक और मानसिक स्वस्थता बढ़ती है ,अपितु जीवन जीने के प्रति हमारा नजरिया भी सुंदर और सकारात्मक हो जाता है ।इसलिए प्रतिदिन कुछ समय योग और व्यायाम के लिए अवश्य निकालें । योग करने से जीवन जीना सरल हो जाता है ,चेहरे पर चमक आती है और हमारा व्यक्तित्व प्रभावी और आकर्षक बन जाता है।इन सब के साथ ही हमारे आत्मविश्वास में भरपूर वृद्धि भी होती है।
४) स्वस्थ रहने के लिए केवल अच्छा खानपान ही पर्याप्त नहीं होता, अपितु इसके साथ साथ हमें अपने स्वास्थ्य की नियमित रूप से एक अच्छे चिकित्सक से जांच भी कराते रहना चाहिए ताकि सही समय पर ही हमें अपने स्वास्थ्य पर गलत असर डालने वाले अस्वस्थ कारकों का पता चलता रहे और अपने स्वास्थ्य पर पड़ने वाले उनके दुष्प्रभावों से हम खुद को समय रहते बचा सकें।
५) अच्छे खान-पान ,नियमित व्यायाम और योग के साथ-साथ हमें अपनी अच्छी आदतों को भी समय-समय पर विकसित करते रहना चाहिए। जिन कामों से हमें खुशी और संतुष्टि मिलती है उन कामों में हमें स्वयं को व्यस्त करना चाहिए। जैसे : बागवानी ,कढ़ाई ,बुनाई ,बुक रीडिंग ,कुकिंग ,शॉपिंग, घूमना,कोई खेल खेलना,यात्रा करना,साइक्लिंग ,ड्राइविंग और इसी प्रकार की अन्य कोई भी गतिविधियां।
६) शरीर द्वारा महसूस की जाने वाली छोटी से छोटी दुख, तकलीफ,बीमारी और परेशानी को हमें इग्नोर नहीं करना चाहिए तुरंत उसका निदान और इलाज करने के लिए मेडिकल सलाह ले लेनी चाहिए। समस्या का समय पर पता लगाना अत्यंत आवश्यक होता है अन्यथा समस्याएं विकराल रूप धारण कर लेती हैं
७) मानसिक तंदुरुस्ती के लिए हमें उन लोगों से समय-समय पर मिलते रहना चाहिए जिन से मिलने पर हमारे भीतर सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है, हमें मानसिक संतुष्टि मिलती है और हम आनंद का अनुभव करते हैं ।अपने मन को मार कर हमें कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिसका दुष्प्रभाव अप्रत्यक्ष तरीके से हमारे स्वास्थ्य पर पड़े।
८) हमें स्वयं को गलत आदतों से भी सदैव बचा कर रखना चाहिए। गलत आदतें हमारे जीवन जीने में बाधा उत्पन्न करती हैं ,समाज में हमारे सम्मान को कम करती हैं।जुआ,चोरी, नशा ,तंबाकू सेवन ,शराब का सेवन और इसी प्रकार की अन्य गंदी और गलत आदतों से हमें अपने आप को बचाना चाहिए क्योंकि इस प्रकार की गलत आदतें स्लो पोइज़निंग का काम करती है और हमारे जीवन को तबाह कर देती हैं।
उपरोक्त छोटी-छोटी किंतु बेहद महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखकर हम अपने स्वास्थ्य को संवार सकते हैं और अपने जीवन को सुंदर सरल सहज और स्वस्थ बना सकते हैं यह हमारे लिए हमारे द्वारा दिया गया सबसे अनमोल तोहफा भी साबित हो सकता है। यदि हम वास्तविक अर्थों में समाज के लिए ,अपने राष्ट्र के लिए कुछ उपयोगी और सार्थक करने की चाह रखते हैं तो हमें अपने आपको समाज के लिए हितकारी बनाने के लिए प्रयास करने होंगे और उन प्रयासों में सफलता हासिल करने के लिए हमें जी जान से एक ईमानदार कोशिश भी करनी होगी।
— पिंकी सिंघल

पिंकी सिंघल

अध्यापिका शालीमार बाग दिल्ली